खुलेआम नियमों की धज्जियाँ: प्रयागराज के टोल प्लाजा में स्थानीय वाहन चालक क्यों भड़के हुए हैं
प्रयागराज-मऊआइमा मार्ग पर स्थित रामनगर गंसियारी टोल प्लाजा में स्थानीय प्राइवेट वाहनों पर लागू नियमों की अनदेखी के कारण हाल-फिलहाल वाहन चालकों में ओहदा गुस्सा देखा जा रहा है।
हालाँकि स्थानीय निजी वाहन चालकों के प्रति अलग लाइन एवं लोकल पास का प्रावधान है, लेकिन चालकों का आरोप है कि उन्हें अब भी “एनुअल पास” ट्रिप कट होने का मशीनरी समस्या झेलनी पड़ रही है — परिणामस्वरूप उन्हें टोल टैक्स देना पड़ रहा है, जबकि नियमों के मुताबिक उन्हें स्थानीय श्रेणी माना जाना चाहिए था।
क्या हैं नियम
National Highways Authority of India (NHAI) और Ministry of Road Transport & Highways (MoRTH) के तहत जारी “User Fee (Toll) Rules” में उल्लेख है कि “स्थानीय/बार-बार इस्तेमाल करने वाले वाहन उपयोगकर्ताओं के लिए भत्ते (concessions) दिए जा सकते हैं”।
इसी तरह, “लोकल निवासी-यातायात को” प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों पर कुछ विशेष पास-इत्यादि की सुविधा भी संविधान में दिखती है।
नियमानुसार टोल-सूचना प्रणाली (Toll Information System) के अंतर्गत, “स्थानीय वाहन-उपयोगकर्ता” और “पास धारक” वाले रिकॉर्ड सार्वजनिक होने चाहिए।
क्या हो रहा है रामनगर गंसियारी टोल प्लाजा पर
स्थानीय निजी वाहन चालकों का कहना है कि टोल प्लाजा से लगभग 12 किलोमीटर तक के दायरे में आने वाले निजी (प्राइवेट) वाहनों को “लोकल श्रेणी” में रखा जाना है, तथा उन्हें मासिक लोकल पास की सुविधा मिलनी है।
इसके बावजूद, बीते कुछ दिनों से स्थानीय वाहनों को भी उसी तरह से ट्रिप-कट कर दिया जा रहा है जैसे एनुअल पास वाले वाहन। इसका मतलब यह हुआ कि लोकल वाहन के लिए अलग लाइन से निकलने के बावजूद “फास्ट-ट्रैक” से गुजरने पर ट्रिप कट रही है और टोल टैक्स देना पड़ रहा है।
इसके कारण टोल कर्मियों और वाहन चालकों के बीच टोल बूथ पर तकरार व शिकायतें बढ़ गई हैं।
वाहन चालकों का आरोप है कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद टोल कर्मियों का रवैया नहीं बदला — इस पर स्थानीय लोग सिस्टम के प्रति आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं।
स्थानीय लोगों के अनुभव
“लोकल पास होने के बावजूद ट्रिप कम हो जाती है” — कई ड्राइवर यही शिकायत कर रहे हैं। अलग लाइन से निकलने पर भी “फास्ट ट्रैक” ग्रीड से एंट्री होने पर उन्हें पूर्ण टोल देना पड़ रहा है।
उनका कहना है कि जैसे-जैसे दिन बढ़ रहे हैं, नियमों का पालन घट रहा है — और जनता में यह धारणा बनती जा रही है कि ‘लोकल वाहन’ श्रेणी सिर्फ कागज़ों में है।
क्यों यह मामला गंभीर है
यह मामला सिर्फ टोल टैक्स का नहीं बल्कि विश्वास-विभव का है — जब लेवल-प्लान पर नियमों का पालन नहीं होगा, तो स्थानीय नागरिकों की सड़क-यातायात व्यवस्था एवं प्रशासन पर भरोसा कमजोर होगा।
अगर लोकल वाहनों को स्थानीय श्रेणी में रखने का प्रावधान है, और उस प्रावधान का पालन नहीं हो रहा, तो यह एक प्रकार का नियम-उल्लंघन बन जाता है।
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