मऊआइमा की सबसे पुरानी बाजार ‘गजिया’ अब वर्ष में मात्र तीन दिन ही रहती है गुलजार

मऊआइमा की सबसे पुरानी बाजार ‘गजिया’ अब वर्ष में मात्र तीन दिन ही रहती है गुलजार

प्रयागराज (UP9 News)।
कभी मऊआइमा कस्बे की पहचान और आस-पास के गांवों की आर्थिक धड़कन रही गजिया बाजार आज अपनी पुरानी रौनक खो चुकी है। कभी यह बाजार पूरे क्षेत्र में व्यापार का केंद्र मानी जाती थी, लेकिन अब इसकी चहल-पहल वर्ष में केवल तीन दिनों तक—धनतेरस, छोटी दीपावली और दीपावली—तक ही सीमित रह गई है।
कभी सुई से तलवार तक मिलता था सबकुछ
तहसील बार एसोसिएशन सोरांव के अध्यक्ष वामिक एजाज फारूकी बताते हैं,

> “हमारे बचपन के दिनों में गजिया बाजार ही एकमात्र ऐसी जगह थी जहां सुई से लेकर तलवार, किराना, बर्तन, सब्जी, मिठाई, खिलौने, दवाएं, और पटाखे—सब कुछ एक ही जगह मिल जाता था। आस-पास के 20 किलोमीटर तक के लोग यहीं से अपनी जरूरत का सामान खरीदने आते थे।”


‘भग्गू लाल मिठाई वाले’ की मिठाई विदेश तक जाती थी

स्थानीय निवासी निमिष खत्री याद करते हैं कि,

> “हमारे मोहल्ले में स्थित भग्गू लाल मिठाई वाले की दुकान कभी इतनी प्रसिद्ध थी कि उनकी मिठाई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता ही नहीं, बल्कि विदेशों तक जाती थी। लेकिन बाईपास बन जाने और आसपास के गांवों में छोटे-छोटे बाजार खुल जाने से यहां की रौनक धीरे-धीरे फीकी पड़ गई।”



हालांकि अब भी दीपावली के सीजन में यह बाजार तीन दिनों तक पुराने दिनों की झलक दिखाती है। इन दिनों ग्राहकों की भारी भीड़ उमड़ती है और दुकानें फिर से रोशनी में नहाई नजर आती हैं।

बाईपास और संकरी गलियां बनी बाजार की गिरावट का कारण

जानकार बताते हैं कि गजिया बाजार की गिरावट की सबसे बड़ी वजह बाईपास रोड का निर्माण और संकरी गलियां रही हैं।
बाजार में दोनों ओर मकान होने से सड़क का चौड़ीकरण संभव नहीं हो सका, जिससे बाहर से आने वाले ग्राहकों के लिए पार्किंग की सुविधा नहीं रही। परिणामस्वरूप धीरे-धीरे ग्राहकों का रुझान अन्य बाजारों जैसे सदर बाजार, तीन बत्ती, नाती इमली, और बहराना चौराहा की ओर बढ़ गया।



ऑनलाइन शॉपिंग ने भी किया असर

स्थानीय दुकानदारों के अनुसार, बाजार की गिरावट का एक प्रमुख कारण ई-कॉमर्स कंपनियां भी हैं।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर सस्ते दाम और घर बैठे सुविधा मिलने से ग्राहकों ने स्थानीय बाजारों की ओर आना कम कर दिया है।
कपड़े, जूते-चप्पल, कॉस्मेटिक और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के व्यापारी बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में उनकी बिक्री में भारी कमी आई है।


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तीन दिन की रौनक, बाकी साल सन्नाटा

आज गजिया बाजार में दीपावली के तीन दिनों को छोड़कर अधिकांश समय सन्नाटा पसरा रहता है।
फिर भी स्थानीय लोगों की भावनाओं में यह बाजार आज भी जीवित है।
हर साल दीपावली पर जब यह बाजार रोशनी, मिठाइयों और खरीददारों से भर जाता है, तो पुराने मऊआइमा की यादें एक बार फिर ताज़ा हो उठती हैं।


🖋️ रिपोर्ट: UP9 News टीम, प्रयागराज
📍 स्थान: मऊआइमा, प्रयागराज
📅 विशेष अवसर: दीपावली 2025

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