आज़म खान को जमानत मिली, लेकिन रिहाई पर संकट – नए आरोपों ने बढ़ाई मुश्किलें
लखनऊ/रामपुर। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और उत्तर प्रदेश की राजनीति का बड़ा चेहरा मोहम्मद आज़म खान को रामपुर के बहुचर्चित Quality Bar ज़मीन मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है। लगभग 23 महीने बाद उन्हें यह राहत मिली, लेकिन अभी भी उनकी रिहाई पर संकट बरकरार है। वजह है — पुलिस द्वारा पुराने मुकदमों में नए आरोप जोड़ना।
📌 कौन-सा मामला?
2014 के Quality Bar ज़मीन जब्ती केस में आज़म खान पर आरोप था कि उन्होंने गलत तरीके से प्रॉपर्टी को अधिग्रहित किया। FIR 2019 में दर्ज हुई और 2024 में उन्हें इस केस में आरोपी बनाया गया। अदालत ने माना कि लंबे समय बाद आरोपी बनाए जाने से जमानत मिलनी चाहिए, और इसी आधार पर उन्हें राहत दी गई।
इसके अलावा Dungarpur कॉलोनी भूमि मामले में भी आज़म खान को पहले ही जमानत मिल चुकी है।
⚠️ नए आरोपों से अटकी रिहाई
जमानत के बावजूद उनकी जेल से बाहर आने की राह आसान नहीं है। पुलिस ने Enemy Property Records Case में नई धाराएँ जोड़ दी हैं:
धारा 467 (IPC) – सरकारी रिकॉर्ड में जालसाज़ी
धारा 471 (IPC) – जाली दस्तावेज़ का इस्तेमाल
धारा 201 (IPC) – साक्ष्य छिपाना या नष्ट करना
इस मामले में अगली सुनवाई 20 सितंबर 2025 को रामपुर की MP/MLA विशेष अदालत में होगी।
🧭 राजनीतिक असर
आज़म खान पश्चिमी यूपी और मुस्लिम वोटबैंक पर गहरी पकड़ रखते हैं।
अगर वे बाहर आते हैं तो सपा (समाजवादी पार्टी) को बड़ी मजबूती मिलेगी।
विपक्ष का आरोप है कि लगातार नए मुकदमों और धाराओं को जोड़कर सरकार राजनीतिक प्रतिशोध ले रही है।
हालांकि आज़म खान के बसपा में जाने या नई पार्टी बनाने की अटकलें अब भी महज़ कयास हैं। फिलहाल वे सपा के भीतर ही बने हुए हैं।
🔎 नतीजा क्या होगा?
फिलहाल तस्वीर साफ है — आज़म खान को अदालत से राहत तो मिल रही है, लेकिन नए आरोपों के कारण जेल से बाहर आना अभी आसान नहीं। अगर वे रिहा होते हैं तो यूपी की राजनीति में बड़ा उलटफेर हो सकता है।
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