नर समान नहिं कवनिउ देही, इसलिए अल्प जीवन काल मे करें सत्कर्म – कथा ब्यास
कार्यालय संवाददाता
सगरासुन्दरपुर, प्रतापगढ़ ।क्षेत्र के सगरासुन्दरपुर मे आयोजित सात दिवसीय श्री रामकथा के दूसरे दिन कथाकार अरविन्द जी महाराज ने राम जन्म ,बाल लीला ,विद्याध्यन पर विस्तार से भाव पूर्वक प्रवचन करते हुए कहा कि मनुष्य का जन्म कर्म, सत्कर्म करने के लिए मिला है ,मानव योनि भोग योनि नही योग योनि है । उन्होंने मानस की चौपाइयों अंसन्ह सहित मनुज अवतारा । लेहउँ बंस उदारा ।ईश्वर अंश जीव अविनाशी । चेतन अमल, सहज शुख राशी, का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि जीव परमात्मा का अंश है जो माया के कारण ईश्वर से अलग हो गया है और संसार सागर में भटक रहा है जीव और परमात्मा का सम्बंध उसी प्रकार से है जैसे जल और मछली का होता है ।उन्होंने कहा कि करुणा करके भगवान ने मानव शरीर दिया है इसीलिए काकभुसुण्डि जी ने कहा है कि नर समान नहिं कवनिउ देही ।जीव चराचर याचित तेही ।उन्होंने कहा कि भगवान का अवतरण होते ही अयोध्या में इतना उत्सव हुआ कि न दिन का पता चला न रात का ।मानो सूर्य भगवान का स्तम्भन हो गया रहा हो ।जन्म महोत्सव रचहिं सुजाना । करहि राम कल कीरति गाना ।उन्होंने कहा कि भगवान से कोई न कोई सम्बन्ध साध लीजिये आनंद में रहेंगे क्यों कि परमात्मा से सम्बन्ध होने पर वह खुदबखुद ही ध्यान रखते हैं । उन्होंने राम चरित का सुंदर चित्रण करते हुए कहा कि भगवान राम अपने पिता चक्रवर्ती राजा दशरथ से पूँछकर कर आज्ञा प्राप्त कर कार्य करते थे ।इसलिये अपने जीवन को श्रेष्ठतम रखना चाहते हैं तो श्रेष्ठ लोगों से ब्यवहार अवश्य रखें । श्री राम चरित भगवान की जीवन्त चरित है । भगवान के कार्य मे कभी भी चतुराई का प्रवेश नहीं होना चाहिए क्योंकि भगवत पथ में नहीं चलती चतुराई, जहां प्रेम व सद्भाव है वहां भगवान हैं । इस दौरान श्रीराम कथा श्रवण करने के लिए क्षेत्र के श्याम शंकर पाण्डेय, अरविन्द त्रिपाठी एडवो., शिवमूर्ति त्रिपाठी, अनूप त्रिपाठी, उदयराज तिवारी, सोनू तिवारी, गरुण तिवारी, मिन्कू तिवारी, शिवम द्विवेदी, जोनू शुक्ला, प्रधानाचार्य उमाशंकर मिश्र, मनोज दुबे, राजेन्द्र मिश्र, संजय शुक्ला, वरुण तिवारी, मुरली उपाध्याय, कृष्णदेव, साहब शुक्ल, योगेश ओझा, बादशाह शुक्ल आदि मौजूद रहे ।