बेटियों को सही दिशा देने की परम आवश्यकता – प्रियंका पुष्पाकर
प्रतापगढ़ ।बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ निबंध लिखना जैसे बिना पहिए के गाड़ी चलाना ऐसे ही एक जीवन रूपी गाड़ी भी केवल पुरुषों से नहीं चल सकती जीवन चक्र में स्त्री और पुरुष दोनों के समान सह भागिता है बेटियों की घटती संख्या देश के लिए चिंता का विषय है ।बेटियां समाज या देश का एक आईना है कुछ बेटियां ने अपने कार्यों को पूरी तरह से करके देश का नाम रोशन किया है इसीलिए माता पिता बेटा या बेटी में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करते बेटियां संस्कार को सवारने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है बेटियां ना होती तो हम और आप ना होते और यह पूरी दुनिया ना होती जो दुनिया में खुशियां हैं वह खुशियां ना होती कितनी सारी बेटियां अपने दम पर अपने परिवार चलाती हैं और जब बेटी की शादी हो जाती है और वह और ओ अपने ससुराल जाती हैं लोग उसे परेशान करते हैं फिर बहू और बेटियों में अंतर क्या बेटियां तो अपने भाई के हाथ में कलाई बांधकर उसके भविष्य की कामना करते हैं और वही बेटी जब किसी की पत्नी बनती हैं तो वह पति या पूरे परिवार की भगवान से कामना करते हैं और बेटी जब किसी की मां बनकर बेटा या बेटी को आंचल में रखकर वह हर मुश्किलों का सामना करती हैं बेटियां के इतने रूप होते हुए भी इन बेटियों की हत्या की जाती है लड़कियों के साथ शोषण होने का कारण है अशिक्षा अगर हम शिक्षित हैं तो हमें सही गलत का ज्ञान है जब हम अपने पैर पर खड़े रहेंगे तो हमें कोई व्यक्ति वह नहीं समझेगा इसीलिए कहा जाता है बेटियों को शिक्षित बनाओ और उन्हें देखो वह क्या करती हैं कहां जाती हैं उन्हें अच्छी बातें बताओ और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ।