नजर बचाना नजर चुराना, ए भी एक हुनर है साहब…

नजर बचाना नजर चुराना, ए भी एक हुनर है साहब…

शेष नारायण यादव ( अजय‌ ) संवाददाता
लक्ष्मणपुर, प्रतापगढ़‌ ।‌बाबा साहब डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर जी के परिनिर्वाण दिवस पर अभिनव साहित्यिक मंच प्रयाग के तत्वावधान में शकुन्तला एकेडमी राजरूपपुर में आयोजित कवि गोष्ठी एवं सम्मान समारोह में क्षेत्रीय तथा दूर दराज तक के कवियों, शायरों ने एक से बढ़कर एक रचना पढ़कर उपस्थित जनसमूह का दिल जीता, कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती तथा भारतीय संविधान के रचयिता, विश्व के तीसरे नम्बर के विद्वान, महामानव बाबा साहब डा. बी.आर.अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण, दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। मुख्य अतिथि अशोक श्रीवास्तव पुंज की अध्यक्षता तथा चर्चित, वरिष्ठ कवि डा. अशोक अग्रहरि प्रतापगढ़ी के संचालन में हर कवियों ने अपनी विधा में काव्य पाठ कर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया । संचालन कर रहे वरिष्ठ गीतकार डा.अशोक अग्रहरि प्रतापगढ़ी ने तरक्की की रफ्तार में पीछे छूटते जा रहे अपनों के दर्द को कुछ इस तरह के संजीदा गजल से लोगों के दुखती रग पर हाथ रख दिलो – दिमाग पर गहरा असर डाला, नजर चुराना नजर बचाना, ये भी एक हुनर है साहब ।ठुकराना गिरना उठ जाना, ये भी एक हुनर है साहब ।अपनों में बेगाना ! औ बेगानों में अपना पन ,खुद ही खुद से दिल बहलाना ये भी एक हुनर है साहब ।
जिसे लोगों ने काफी पसन्द किया तथा तवज्जो दिया ।कवि रवि शंकर विद्यार्थी, सिरसा ने श्रृंगार की रचना से युवाओं के ख्वाबों खयालों को हवा कुछ इस तरह दिया बोलो न अब छत के ऊपर, किसके खातिर आओगी । युवा गजलकार अनुपम अजनवी ने लेखनी को सच लिखने की नसीहत कुछ ऐसी पंक्तियां पढ़कर दी, मजलूमों की दरकारों पर शेर कहो ।है हिम्मत तो सरकारों पर शेर कहो, को पढ़ा । इसके पश्चात शायर आली इलियास, शिवनरेश भारती, आलोक सिंह, प्रखर प्रयाग, शैलेश पाण्डेय, आशीष कविगुरु, उत्कर्ष यादव ने भी काव्य पाठ कर उपस्थित‌ श्रोताओं को मन्त्र मुग्ध करते हुए उनका दिल जीत लिया ।कार्यक्रम का संयोजन धीरेन्द्र सिंह नागा ने तथा आयोजन देवेन्द्र साहू ने किया ।

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