गजल संग्रह कब आयेगा सवेरा का हुआ भव्य लोकार्पण
रचनाकार संतोष कुमार तिवारी आनन्द सुजान साहित्य गौरव सम्मान से नवाजे गए
उच्च कोटि की गजलों का खजाना है कब आयेगा सवेरा
अरविन्द दुबे, ब्यूरो
प्रतापगढ़ ।सृजना साहित्यिक संस्था उत्तरप्रदेश के तत्वावधान में उदीयमान शायर संतोष कुमार तिवारी आनन्द सुजान की कुल 47 उम्दा गजलों का संग्रह कब आयेगा सवेरा का शानदार लोकार्पण सृजनाकुटीर, अजीतनगर, प्रतापगढ़ ( उ.प्र. ) में हुआ। शुभारंभ भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन, वंदना, त्रिशरण एवं पंचशील के वाचन से हुआ। अध्यक्ष डॉ० दयाराम मौर्य ‘रत्न’ एवं मुख्य अतिथि मौलाना अब्दुल्ला सलमान द्वारा संग्रह के लोकार्पण के उपरांत संग्रह के रचनाकार संतोष कुमार तिवारी आनन्द सुजान को इस उपलब्धि के लिए साहित्य गौरव सम्मान से अलंकृत किया गया। समारोह की अध्यक्षता एवं संग्रह की समीक्षा करते हुए वरिष्ट कवि – साहित्यकार तथा बाल न्यायाधीश डा. दयाराम मौर्य रत्न ने कहा कि कब आयेगा सवेरा की सभी 47 गजलें भाषा, भाव, शैली तथा रचना – शिल्प की दृष्टि से उच्च स्तरीय हैं। बोधगम्यता और गेयता गजलों की प्रमुख विशेषता है। ज्यादातर गजलों में वियोग, संयोग, श्रृंगार, उलाहना तथा मिलन की तीव्र उत्कण्ठा को प्रकट किया गया है।
मुख्य अतिथि के रूप में उर्दू के जाने – माने लेखक एवं समीक्षक मौलाना अब्दुल्ला सलमान ने कहा कि शायर आनन्द सुजान की ग़जलों का प्रधान गुण उनकी मौलिकता है। उर्दू जुबान की मिठास सभी गजलों में बरकरार है। संग्रह कब आयेगा सवेरा उर्दू-हिन्दी अदब का कीमती ख़जाना है। एलायंस क्लब इंटरनेशनल के अंतरराष्ट्रीय एडवाइजर रोशनलाल ऊमरवैश्य ने कहा कि इस ग़ज़ल की पुस्तक को बुक स्टालों पर रखा जाना चाहिए क्योंकि ग़जलों के चाहने वाले बहुत हैं। उर्दू लेखक – शिक्षक डा. मो अनीस नाजिश ने कहा कि आनन्द सुजान की ग़ज़लों से देश में एकता और सद्भाव बढ़ेगा। संचालन युवा कवि-शिक्षक अनिल कुमार ‘निलय’ ने बेहतरीन ढंग से किया। इस अवसर पर डॉ० संतोष कुमार शुक्ल, डॉ० दिनेश कुमार द्विवेदी, ट्रस्टी आनंद मोहन ओझा, डॉ० चन्द्रेश बहादुर सिंह ‘ध्रुव’, मौलाना अब्दुल्ला सलमान, डॉ० मो० अनीस, दीप चन्द्र तिवारी को भी साहित्य गौरव सम्मान दिया गया ।पुस्तक की समीक्षा तथा काव्य पाठ करने वालों में प्रेम कुमार त्रिपाठी ‘प्रेम’,श्रीनाथ मौर्य ‘सरस’, जितेन्द्र कुमार मौर्य, सिद्धांत शेखर मौर्य, कुंज बिहारी लाल मौर्य ‘काकाश्री’ सहित बड़ी संख्या में हिन्दी-उर्दू के जानकार उपस्थित रहे।