राक्षसों के वध एंव संसार के रक्षा हेतु मर्यादा पुरुषोत्तम ने लिया अवतार

राक्षसों के वध एंव संसार के रक्षा हेतु मर्यादा पुरुषोत्तम ने लिया अवतार

सरायंआनादेव व चमरुपुर शुक्लान मे कलाकारों ने मर्यादा पुरुषोत्तम के कृत्यों का किया मंचन

लक्ष्मणपुर, प्रतापगढ़ ।अवध रामलीला समिति चमरुपुर शुक्लान के तत्वावधान में चल रही रामलीला के दूसरे दिन संतोष मिश्र समाजसेवी व जवाहर लाल मौर्य प्रधान चमरुपुर शुक्लान द्वारा भगवान विष्णु की आरती उसके पश्चात समिति के संरक्षक स्व. विनोद कुमार ओझा के छाया चित्र पर माल्यार्पण कर रामलीला कि शुरुवात की । दूसरे दिन के प्रमुख दृश्यो मे दशरथ कौशल्या संवाद, वशिष्ठ गुरु आश्रम हेतु प्रस्थान, वशिष्ठ आश्रम दशरथ आगमन, पुत्रेष्टियज्ञ की व्यवस्था, वशिष्ठ द्वारा श्रृंगीऋषि को बुलाना, पुत्रेष्टियज्ञ सम्पन्न कराना, कौशल्या कैकेयी सुमित्रा को फल देना, दशरथ दरबार, चारो पुत्रों का जन्म, राम जन्म, दशरथ वशिष्ठ द्वारा नामकरण संस्कार व यज्ञोपवीत संस्कार, समस्त बालको का शिक्षा हेतु वशिष्ठ आश्रम जाना, जनक दरबार, प्रजा का बारिश न होने पर हाहाकार मचाना, जनक द्वारा नारद जी के स्वप्न मे कही बात को याद करके जनक व पत्नी सहित हल चलाना, सीता उत्पत्ति राक्षसो द्वारा विश्वामित्र का यज्ञ इत्यादि खंडित करना, विश्वामित्र का दशरथ दरबार मे आगमन, राम लक्ष्मण को मांगना, मंत्री द्वारा राम लक्ष्मण को दरबार मे लाना, माता का आशिर्वाद लेने के पश्चात राम लक्ष्मण का विश्वामित्र के साथ जाना, विश्वामित्र राम संवाद, ताडका बध, विश्वामित्र द्वारा आश्रम मे यज्ञ करना, राम लक्ष्मण द्वारा सुबाहु वध, मारीच का भागना राम लक्ष्मण द्वारा गुरु सेवा करना, जनकपुर से दूत का आगमन, विश्वामित्र का राम लक्ष्मण के साथ जनकपुर प्रस्थान करना, मार्ग में अहिल्या उद्धार आदि दृश्य दिखाये गये । कलाकारों में मुख्य रूप से पवन कुमार शुक्ला ( गोलू ), विनय कुमार दूबे, बद्रीनाथ मिश्रा, आशीष वैश्य, संतोष शुक्ला, राममनोहर पाल, राज, शनि, आशीष मिश्रा ( मोनू ), विकास पान्डेय, शिवम पान्डेय, जयभगवान पान्डेय, प्रयागदत्त ओझा आदि कलाकारों द्वारा कला का प्रदर्शन किया गया । उक्त जानकारी समिति के कलाकार, प्रचार मंत्री व मीडिया प्रभारी अनुज पान्डेय ने दी । वहीं दूसरे तरफ क्षेत्र के सरांयआनादेव मे चल रामलीला मंचन मे कलाकारों ने मंचन के माध्यम से लोगों को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम चन्द्र जी के चरित्र से जोड़ते हुए उनके पद चिन्हों पर चलने व जनहित मे सदैव समर्पित रहने का सन्देश दिया ।

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